गणतंत्र दिवस भारत का एक महत्वपूर्ण त्यौहार है जिसे हम बहुत ही धूमधाम से मनाते हैं। मतलब है कि गणतंत्र दिवस का हर कोई बेसब्री से इंतजार करता है ऐसे में देशभक्ति की भावना से भरे इस शानदार कविताओं के बिना यह त्योहार अधूरा है। Heart Touching Poem on Republic Day in Hindi पोस्ट में हम आपके लिए भारत के गणतंत्र दिवस यानी की 26 जनवरी के लिए हिंदी में कविताएं लेकर आए हैं, जैसे आप स्कूल या कॉलेज में बोल सकते हैं।
Heart Touching Poem on Republic Day in Hindi मैं भारत का जवान हूं
मैं दुश्मन से नहीं डरता मैं भारत का जवान हूं।
मरुस्थल की रेत हूं मैं सियाचिन का आसमान हूं।
मैं दुश्मन से नहीं डरता मैं भारत का जवान हूं
मैं जून में जल्दी रेत पर लेटे कहता हूं सर्दी आज कम है।
दिसंबर की ठंड पीके कहता हूं गर्मी का मौसम है।
मैं बर्फ में 9 दिन तक रहकर जिंदा निकलता हूं।
सीने में अपनी सांस को टुकड़ों में भरता हूं।
मैं हिंद महासागर की लहरों के कपड़े बदलता हूं।
– 30 डिग्री में राइफल टांग के टहलने निकलता हूं।
आदमजात की औकात क्या जब मैं कुदरत से नहीं डरता।
मैं भारत का जवान हूं मैं दुश्मन से नहीं डरता।
मेरी दीवाली में उजाले का ख्याल तक नहीं।
मेरी होली में रिश्तों का गुलाल तक नहीं।
चांद हर ईद पर तन्हाई में इजाफा लाता है।
मुझे राखी बांधने बस एक लिफाफा आता है।
ऐसा यार अपनी मां के पैर छुए मुझे अरसा हो गया मे।
मेरा बाप मेरे इंतजार में बूढ़ा हो गया।
मेरी बीवी सिंदूर लगाकर भी लगती कुंवारी है।
मैंने सहूलत का गला घोटा जरूरत नकारी है।
हां मैं निर्दयी हूं मैं अपने उजड़ते घर और आंगन से नहीं डरता।
मैं भारत का जवान हूं मैं दुश्मन से नहीं डरता।
मगर मैं डरता हूं हाँ मैं भी डर जाता हूं।
Heart Touching Poem on Republic Day in Hindi, मजहब की आग से
![मैं डरता हूं मजहब की आग से](https://24hindinews.in/wp-content/uploads/2024/01/%E0%A4%AE%E0%A5%88%E0%A4%82-%E0%A4%A1%E0%A4%B0%E0%A4%A4%E0%A4%BE-%E0%A4%B9%E0%A5%82%E0%A4%82-%E0%A4%AE%E0%A4%9C%E0%A4%B9%E0%A4%AC-%E0%A4%95%E0%A5%80-%E0%A4%86%E0%A4%97-%E0%A4%B8%E0%A5%87-1-1024x576.jpg)
मैं डरता हूं मजहब की आग से, मजहब के चोलों से।
सियासत के सांप के कातिल सपोलों से।
हवा में फैली अफवाह से डरता हूं।
मैं सैलाब एक गुमराह से डरता हूं।
मुझे डर है मेरी सरजमीं को मेरे अपने उजड़ेंगे।
खून की मोहर से यह खुद को सवारेंगे।
मैं मजबूर हूं कमजोर हूं मैं उनसे लड़ नहीं सकता।
अपनों की तरफ बंदूक लेकर बढ़ नहीं सकता।
मैं बस बोल सकता हूं मैं बहरों की तरह गूंगा।
तुम्हारे कान पर है हाथ लेकिन फिर भी मैं बोलूंगा।
हजारों साल की यह सभ्यता को गौर से देखो।
सुनो तुम आवाज मन की जरा गहराई से सोचो।
Heart Touching Poem on Republic Day in Hindi अपना पराया है।
तुम्हें क्या सच में लगता है कि कोई क्या अपना पराया है।
हुआ पैदा जो इस देश में बाहर से आया है।
सभी का खून है शामिल लगी कुर्बानियां सबकी।
हमने हड्डियों को जोड़कर भारत बनाया है।
तुम्हें अगर इश्क है इससे तो इस दिल से अपनाओ।
कोई पूछे अगर मजहब को तो हिंदुस्तान बतलाओ।
कभी ना तोड़ पाएगी आंधी इसे सियासत की।
जुड़ो ऐसी जड़ों से जिंदगी की जान कहलाओ।
पहाड़ी, वादियां, मैदान, साहिल हो या सैहरा हो।
तिरंगा तीन रंगों से बना दिखता सुनहरा हो।
युवा हर प्राण यह प्रण ले सड़क पर खून न होगा।
मैं सरहद पर खड़ा हूं तुम मेरे आंगन में पहरा दो।
Heart Touching Poem on Republic Day in Hindi
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