अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस 1 सप्ताह तक चलने वाला अंतर्राष्ट्रीय उत्सव है जो हर वर्ष 12 मई को समाप्त होता है। दोस्तों जब हम बीमार होते हैं और डॉक्टर से दवाई लेने के लिए अस्पताल जाते हैं तो हम देखते हैं कि हमारी बीमारी को ठीक करने में डॉक्टर और दवाइयां के साथ-साथ नसों का भी बहुत बड़ा योगदान होता है। उन्हें नसों को सम्मान देने के मकसद से हर वर्ष 12 मई को अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस (International Nurses Day 2024) मनाया जाता है।
किसी बीमारी को ठीक करने में जितना बड़ा योगदान दवाइयों और डॉक्टरों का होता है उतना ही देखभाल करने का भी होता है। और मरीज की देखभाल करने में नर्सों का योगदान डॉक्टर से भी ज्यादा होता है। मरीज की देखभाल करने में नर्स डॉक्टर से भी बड़ा योगदान निभाती है और पूरा दिन मरीज की देखभाल में लगी रहती हैं। आज के इस आर्टिकल में हम आपको इस दिन का महत्व और इस दिन के इतिहास के बारे में विस्तार पूर्वक बताएंगे।
मरीज की देखभाल करने वाली नसों को सिस्टर भी कहा जाता है। नर्स द्वारा मरीज की बहुत ही अच्छी तरह से देखभाल की जाती है इसी कारणवश मरीज भी नर्सों का सम्मान करते हैं। सभी अस्पतालों में आपको मरीजों की देखभाल करती हुई नर्सें देखने को मिल जायेंगी। इन्हीं नर्सों को सम्मान देने के लिए हर वर्ष 12 मई को विश्व भर में नर्स दिवस (International Nurses Day 2024) मनाया जाता है। इस दिन सभी नसों को बहुत ही सम्मान दिया जाता है।
![अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस क्यों मनाया जाता है?](https://24hindinews.in/wp-content/uploads/2024/05/2-1024x576.jpg)
अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस क्यों मनाया जाता है?
विश्व भर में हर वर्ष 12 मई को अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस (International Nurses Day 2024) मनाया जाता है। 12 मई 1820 में फ्लोरेंस नाइटिंगेल का जन्म हुआ था। फ्लोरेंस नाइटिंगेल को मॉडर्न नर्सिंग की जन्मदाता माना जाता है। यही कारण है कि आज भी उनके बर्थडे के दिन हर वर्ष अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस मनाया जाता है। तथा हेल्थकेयर इंडस्ट्री में नर्सों के योगदान को याद करने, नर्सों को सम्मान देने एवं इस प्रोफेशन को बढ़ावा देने के मकसद से सन 1974 में इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ नर्सेस द्वारा हर वर्ष अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस को मनाने की घोषणा की गई थी।
फ्लोरेंस नाइटिंगेल कौन थीं?
लेडी विद लैंप के नाम से मशहूर फ्लोरेंस नाइटिंगेल एक महान नर्स थीं जिन्होंने अपना पूरा जीवन लोगों की सेवा और उनकी देखभाल करने में समर्पित कर दिया। सन 1854 में होने वाले क्रीमिया युद्ध के दौरान फ्लोरेंस नाइटिंगेल ने जिस प्रकार सैनिकों की सेवा की थी वह सभी नर्सिंग कर्मचारी के लिए एक मिसाल बन गई। युद्ध के दौरान फ्लोरेंस नाइटिंगेल ने क्रीमिया जाकर बहुत सारे सैनिकों की जान बचाई और वहां के अस्पताल की बदतर हालात को सुधारा। आज भी नर्सिंग की ट्रेनिंग पूरी होने के पश्चात नसों को नाइटिंगेल प्रतिज्ञा दिलवाई जाती है।
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