Dev Uthani Ekadashi का व्रत कब है, इस लेख में आपको बता दें कि, हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल देवउठनी एकादशी 23 नवंबर गुरुवार को है। इस दिन 5 माह बाद जगत के पालनहार भगवान विष्णु योग निद्रा से जागेंगे और सृष्टि के पालन का कार्यभार संभालेंगे। इस दिन से ही फिर समस्त मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे। कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष में आने वाली देवउठानी एकादशी में मां लक्ष्मी और श्री हरि विष्णु को प्रसन्न करने के लिए श्रेष्ठ दिन माना जाता है।
इस दिन मंत्रोच्चारण, स्त्रोत पाठ, शंख, घंटा ध्वनि एवं भजन-कीर्तन द्वारा देवों को जगाने का विधान है। श्लोक ज्ञात नहीं होने पर उठो देवा, बैठो देव कहकर श्री नारायण को उठाएं। कार्तिक पंच तीर्थ महास्नान भी इसी दिन से शुरू होकर कार्तिक पूर्णिमा तक चलता है। Dev Uthani Ekadashi का व्रत कब है, इस पूरे महीने कार्तिक स्नान करने वालों के लिए एकादशी तिथि से “पंचभीका व्रत” का प्रारंभ होता है, जो 5 दिन तक निराहार रह कर किया जाता है।
कब मनाएं देवउठनी एकादशी
Dev Uthani Ekadashi का व्रत कब है, कार्तिक माह की देवउठनी एकादशी की तारीख को लेकर यदि आप संदेह में है तो हिंदू वेदिक पंचांग के अनुसार, इस बार देवउठनी एकादशी का व्रत 23 नवंबर 2023 दिन गुरुवार को रखा जाएगा। इस बार कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 22 नवंबर 2023 दिन बुध को रात के समय 11:00 बजकर 3 मिनट पर शुरू होगी और 23 नवंबर 2023 दिन गुरुवार को रात 9:00 बजकर 1 मिनट तक रहेगी।
हिंदू धर्म मेंकोई भी शुभ कार्य, उपवास या पूजा पाठ को उदया तिथि में करना सबसे शुभ माना जाता है और इसे अधिक महत्व भी दिया जाता है। Dev Uthani Ekadashi का व्रत कब है लेख में बता दें कि,यही कारण है कि देवउठनी एकादशी व्रत का संकल्प 23 नवंबर 2023 दिन गुरुवार को लेने के बाद इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विधि पूर्वक पूजा की जाएगी और एकादशी के अगले दिन व्रत का पारण किया जाएगा जो कि 24 नवंबर 2023 दिन शुक्रवार का है।
Dev Uthani Ekadashi का व्रत कब है
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देवउठनी एकादशी व्रत की पूजा विधि
देवउठनी एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर ले और साफ कपड़े पहन लें। पूजा घर को गंगाजल छिड़ककर पवित्र कर लें। Dev Uthani Ekadashi का व्रत कब है में, इस दिन घर की ठीक से सफाई करें और आंगन में या फिर पूजा घर के बाहर भगवान के चरणों की आकृति बना लें। घर में ओखली पर गेरू से भगवान विष्णु का चित्र बना लें। इस चित्र पर मिठाई, फल, सिंघाड़े, गन्ना और आंवला अर्पित करें और भगवान विष्णु की पूजा करें।
Dev Uthani Ekadashi का व्रत कब है में बता दें कि, दिवाली की तरह ही इस दिन भी रात को पूजा स्थल और घर के बाहर दीपक जलाने चाहिए और घर के सभी सदस्यों को भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। उसके बाद रात में आरती करके पूजा संपन्न करें, भगवान विष्णु का आह्वान करके उन्हें जगाएं। शंख और घंटी बजाते हैं वह यह कहें, उठो देवा, बैठो देवा, आंगुरिया चटकाओ देवा, नई सूत, नई कपास, देव उठाए कार्तिक मास।
देवउठनी एकादशी का शुभ मुहूर्त
देवउठनी एकादशी का व्रत – 23 नवंबर 2023 दिन गुरुवार।
एकादशी तिथि प्रारंभ – 22 नवंबर 2023 रात 11:00 बचकर 03 मिनट से।
एकादशी तिथि समापन – 23 नवंबर 2023 रात 9:00 बजकर 01 पर।
Dev Uthani Ekadashi का व्रत कब है, इस लेख में, व्रत पारण का समय – 24 नवंबर 2023 दिन शुक्रवार सुबह 6:00 बजकर 51 मिनट से, सुबह 8:00 बजकर 57 मिनट तक इस बीच कभी भी व्रत को खोला जा सकता है।
देवउठनी एकादशी व्रत का महत्व
हिंदू धर्म में देवउठनी एकादशी व्रत का महत्व सबसे अधिक माना जाता है क्योंकि देवउठनी एकादशी का व्रत करने से एक जन्म, रात्रि बोध से दो जन्म, और व्रत पालन करने से कई जन्मों के पापों का नाश होता है। Dev Uthani Ekadashi का व्रत कब है इस आर्टिकल में हम आपको बताते हैं कि ,इस दिन से कई जन्मों का उद्धार होता है एवं बड़ी से बड़ी मनोकामना पूर्ण होती है। इस दिन जगराता करने से कई पीढियां को मृत्यु के बाद स्वर्ग मिलता है।
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इस दिन उपवास रखने का पुण्य तीर्थ में दर्शन के पुण्य से अधिक तथा 100 अश्वमेघ यज्ञ और कई राजसूर्य यज्ञ करने के बराबर माना गया है। इस दिन जागरण करने का अधिक महत्व होता है। Dev Uthani Ekadashi का व्रत कब है बता दें कि, इससे मनुष्य इंद्रियों पर विजय पाने योग्य बनता है। इस व्रत की कथा सुनने और पढ़ने से 10 गायों के दान के बराबर पुण्य मिलता है, जब वह पूरे नियम पूर्वक विधि विधान के साथ किया जाए।
देवउठनी एकादशी पर 3 शुभ योग
इस साल देवउठनी एकादशी पर 3 बड़े ही शुभ योग बन रहे हैं। इस बार देवउठनी एकादशी पर रवि योग, सिद्धि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा। Dev Uthani Ekadashi का व्रत कब है लेख में, इन शुभ योगों के चलते देवउठनी एकादशी का महत्व और बढ़ गया है। यह दिन पूजा पाठ के लिए उत्तम माना जाता है। सिद्धि योग सुबह 11:55 बजे से शुरू होगा। वही रवि योग सुबह 6:50 बजे से शाम 5:16 तक रहेगा। इसके बाद सर्वार्थ सिद्धि योग शुरू हो जाएगा।
देवउठनी एकादशी व्रत के नियम
इस दिन निर्जला या केवल जलीय पदार्थ का सेवन करते हुए उपवास रखा जाता है। इस व्रत में भगवान विष्णु या अपने इष्ट देवताओं की उपासना की जाती है। Dev Uthani Ekadashi का व्रत कब है लेख में बता दें कि, इस दिन फल जैसे आम केला अंगूर सुखे मेवे जैसे बादाम, पिस्ता का सेवन करना चाहिए। इस दिन तामसिक आहार प्याज, लहसुन, मास और मदिरा न लें। देवउठनी एकादशी पर यदि आप व्रत ना भी करें तो भी आपको ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
Dev Uthani Ekadashi का व्रत कब है लेख में, इस दिन तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए। पूजा के लिए एक दिन पहले ही पत्ते तोड़ ले। स्क्रीन चावल का सेवन बिलकुल नहीं करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इस दिन जो भी चावल का सेवन करता है, रहने वाले जीव की योनि में उसका जन्म होता है। वाद-विवाद से बचना चाहिए और भगवान विष्णु का स्मरण करना चाहिए। जरूरतमंद लोगों को केला, केसर या हल्दी का दान करना शुभ माना जाता है।
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